ये है ध्यान की 7 वी विधि और इसमें आज मैं आपको त्राटक के द्वारा ध्यान कैसे करें. मेरे नजर में ये सबसे सरल ध्यान है और मैंने सुना है इस ध्यान से दीव्य शक्ति भी प्राप्त की जा सकती है लेकिन यह विधि आपको लगातार करनी पड़ेगी. इस विधि को Tratak Sadhana या त्राटक साधना भी कहते है.
प्रयोग एक घंटे का है। पहला चरण चालीस मिनट का और दूसरा बीस मिनट का।
Tratak का पहला चरण (Osho Meditation Technique)
कमरे को चारों ओर से बंद कर लें, और एक बड़े आकार का दर्पण अपने सामने रखें। कमरे में बिलकुल अंधेरा होना चाहिए। अब एक दीपक या मोमबत्ती जलाकर दर्पण के बगल में इस प्रकार रखें कि उसकी रोशनी सीधी दर्पण पर न पड़े। सिर्फ आपका चेहरा ही दर्पण में प्रतिबिंबित हो, न कि दीपक की लौ। अब दर्पण में अपनी दोनों आंखों में बिना पलक झपकाए देखते रहें—लगातार चालीस मिनट तक। अगर आंसू निकलते हो तो उन्हें निकलने दें, लेकिन पूरी कोशिश करें कि पलक गिरने न पाए। आंखों की पुतलियों को भी इधर-उधर न घूमने दें—ठीक दोनों आंखों में झांकते रहें।
ओशो की ध्यान की एक और अन्य विधि -
कुंडलिनी ध्यान : Osho Meditation
दो-तीन दिन के भीतर ही विचित्र घटना घटेगी-आपके चेहरे दर्पण में बदलने प्रारंभ हो जाएंगे। आप घबरा भी सकते हैं। कभी-कभी बिलकुल दूसरा चेहरा आपको दिखाई देगा, जिसे आपने कभी नहीं जाना है कि वह आपका है। पर ये सारे चेहरे आपके ही हैं। अब आपके अचेतन मन का विस्फोट प्रारंभ हो गया है। कभी-कभी आपके विगत जन्म के चेहरे भी उसमें आएंगे। करीब एक सप्ताह के बाद यह शक्ल बदलने का क्रम बहुत तीव्र हो जाएगा; बहुत सारे चेहरे आने-जाने लगेंगे, जैसा कि फिल्मों में होता है। तीन सप्ताह के बाद आप पहचान न पाएंगे कि कौन सा चेहरा आपका है। आप पहचानने में समर्थ न हो पाएंगे, क्योंकि इतने चेहरों को आपने आते-जाते देखा है। अगर आपने इसे जारी रखा, तो तीन सप्ताह के बाद, किसी भी दिन, सबसे विचित्र घटना घटेगी—अचानक आप पाएंगे कि दर्पण में कोई चेहरा नहीं है-दर्पण बिलकुल खाली है और आप शून्य में झांक रहे हैं। यही महत्वपूर्ण क्षण है।
तभी आंखें बंद कर लें और अपने अचेतन का साक्षात करें। जब दर्पण में कोई प्रतिबिंब न हो, तो सिर्फ आंखें बंद कर लें, भीतर देखें—और आप अचेतन का साक्षात करेंगे।
वहां आप बिलकुल नग्न हैं—निपट जैसे आप हैं। सारे धोखे वहीं तिरोहित हो जाएंगे। यह एक सत्य है, पर समाज ने बहुत सी पर्ते निर्मित कर दी हैं, ताकि मनुष्य उससे अवगत न हो पाए। एक बार आप अपने को पूरी नग्नता में देख लेते हैं, तो आप बिलकुल दूसरे आदमी होने शुरू हो जाते हैं। तब आप अपने को धोखा नहीं दे सकते हैं। अब आप जानते हैं कि आप क्या हैं। और जब तक आप यह नहीं जानते कि आप क्या हैं, आप कभी रूपांतरित नहीं हो सकते। कारण, कोई भी रूपांतरण इस नग्न-सत्य के दर्शन में ही संभव है; यह नग्न-सत्य किसी भी रूपांतरण के लिए बीजरूप है। अब आपका असली चेहरा सामने है, जिसे आप रूपांतरित कर सकते हैं। और वास्तव में, ऐसे क्षण में रूपांतरण की इच्छा मात्र से रूपांतरण घटित हो जाएगा, और कुछ भी करने की जरूरत नहीं है।
त्राटक का दूसरा चरण By Osho
अब आंखें बंद कर विश्राम में चले जाएं।
ये थी त्राटक की विधि. ऐसी ही ध्यान की और विधि -
साभार : ओशो इंटरनेशनल
प्रयोग एक घंटे का है। पहला चरण चालीस मिनट का और दूसरा बीस मिनट का।
Tratak का पहला चरण (Osho Meditation Technique)
कमरे को चारों ओर से बंद कर लें, और एक बड़े आकार का दर्पण अपने सामने रखें। कमरे में बिलकुल अंधेरा होना चाहिए। अब एक दीपक या मोमबत्ती जलाकर दर्पण के बगल में इस प्रकार रखें कि उसकी रोशनी सीधी दर्पण पर न पड़े। सिर्फ आपका चेहरा ही दर्पण में प्रतिबिंबित हो, न कि दीपक की लौ। अब दर्पण में अपनी दोनों आंखों में बिना पलक झपकाए देखते रहें—लगातार चालीस मिनट तक। अगर आंसू निकलते हो तो उन्हें निकलने दें, लेकिन पूरी कोशिश करें कि पलक गिरने न पाए। आंखों की पुतलियों को भी इधर-उधर न घूमने दें—ठीक दोनों आंखों में झांकते रहें।
ओशो की ध्यान की एक और अन्य विधि -
कुंडलिनी ध्यान : Osho Meditation
दो-तीन दिन के भीतर ही विचित्र घटना घटेगी-आपके चेहरे दर्पण में बदलने प्रारंभ हो जाएंगे। आप घबरा भी सकते हैं। कभी-कभी बिलकुल दूसरा चेहरा आपको दिखाई देगा, जिसे आपने कभी नहीं जाना है कि वह आपका है। पर ये सारे चेहरे आपके ही हैं। अब आपके अचेतन मन का विस्फोट प्रारंभ हो गया है। कभी-कभी आपके विगत जन्म के चेहरे भी उसमें आएंगे। करीब एक सप्ताह के बाद यह शक्ल बदलने का क्रम बहुत तीव्र हो जाएगा; बहुत सारे चेहरे आने-जाने लगेंगे, जैसा कि फिल्मों में होता है। तीन सप्ताह के बाद आप पहचान न पाएंगे कि कौन सा चेहरा आपका है। आप पहचानने में समर्थ न हो पाएंगे, क्योंकि इतने चेहरों को आपने आते-जाते देखा है। अगर आपने इसे जारी रखा, तो तीन सप्ताह के बाद, किसी भी दिन, सबसे विचित्र घटना घटेगी—अचानक आप पाएंगे कि दर्पण में कोई चेहरा नहीं है-दर्पण बिलकुल खाली है और आप शून्य में झांक रहे हैं। यही महत्वपूर्ण क्षण है।
तभी आंखें बंद कर लें और अपने अचेतन का साक्षात करें। जब दर्पण में कोई प्रतिबिंब न हो, तो सिर्फ आंखें बंद कर लें, भीतर देखें—और आप अचेतन का साक्षात करेंगे।
वहां आप बिलकुल नग्न हैं—निपट जैसे आप हैं। सारे धोखे वहीं तिरोहित हो जाएंगे। यह एक सत्य है, पर समाज ने बहुत सी पर्ते निर्मित कर दी हैं, ताकि मनुष्य उससे अवगत न हो पाए। एक बार आप अपने को पूरी नग्नता में देख लेते हैं, तो आप बिलकुल दूसरे आदमी होने शुरू हो जाते हैं। तब आप अपने को धोखा नहीं दे सकते हैं। अब आप जानते हैं कि आप क्या हैं। और जब तक आप यह नहीं जानते कि आप क्या हैं, आप कभी रूपांतरित नहीं हो सकते। कारण, कोई भी रूपांतरण इस नग्न-सत्य के दर्शन में ही संभव है; यह नग्न-सत्य किसी भी रूपांतरण के लिए बीजरूप है। अब आपका असली चेहरा सामने है, जिसे आप रूपांतरित कर सकते हैं। और वास्तव में, ऐसे क्षण में रूपांतरण की इच्छा मात्र से रूपांतरण घटित हो जाएगा, और कुछ भी करने की जरूरत नहीं है।
त्राटक का दूसरा चरण By Osho
अब आंखें बंद कर विश्राम में चले जाएं।
ये थी त्राटक की विधि. ऐसी ही ध्यान की और विधि -
साभार : ओशो इंटरनेशनल