बिजनेस में संयम अपिर्त ने पढ़़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने के बजाय खुद का बिजनेस शुरु करने की इच्छा घर वालों को बता दी थी और किसी को कोई ऐतराज त्ती नहीं था। उसने बिजनेस शुरु किया। कुछ समय बीता ही था कि उसका मन डोल गया। उसने सोचा कि एक दूसरे बिजनेस में ज्यादा पैसा है, वही करना चाहिए। तो उसने पहला बिजनेस बंद कर दूसरा शुरु कर दिया। इसमें काफी खर्च तो आना ही था।
अब यह उसका हर बार का क्रम हो गया। वह एक महीने तक तो देखता, अगर बिजनेस उसे ज्यादा चलता हुआ न दिखता तो वह कोई दूसरा ज्यादा आकर्षक बिजनेस शुरु कर देता।
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जब वह अपनी बड़ी पूंजी और हिम्मत इस सब में गंवा बैठा तो फिर घर पर ही रहने लगा। एक दिन उसके चाचा उसके घर आए तो उन्हें पूरी कहानी पता चली। वे भी अपना बिजनेस करते थे।
उन्होंने उसे बैठाया और कहा- अपिर्त, अगर मैं किसी बीज को बोकर, हर हक्ते उसे निकालकर नई-नई जमीनों पर बोता रहूं तो वह ढ़ंग से फलेगा-फूलेगा नहीं। बिजनेस को समय दिए जाने की जरुरत है।
एकदम से पौधै पर ही फल लग आने की अपेक्षा मत रखो। उसे जमने दो और फलने-फूलने दो। अपिर्त को अपने चाचा का इशारा समझ आ गया था। अब उसने अपने नए बिजनेस को पयार्प्त समय देने का निश्चय कर लिया।
दोस्तों इस प्रेरणादायक कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें बिजनेस में संयम रखना चाहिए.
अब यह उसका हर बार का क्रम हो गया। वह एक महीने तक तो देखता, अगर बिजनेस उसे ज्यादा चलता हुआ न दिखता तो वह कोई दूसरा ज्यादा आकर्षक बिजनेस शुरु कर देता।
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जब वह अपनी बड़ी पूंजी और हिम्मत इस सब में गंवा बैठा तो फिर घर पर ही रहने लगा। एक दिन उसके चाचा उसके घर आए तो उन्हें पूरी कहानी पता चली। वे भी अपना बिजनेस करते थे।
उन्होंने उसे बैठाया और कहा- अपिर्त, अगर मैं किसी बीज को बोकर, हर हक्ते उसे निकालकर नई-नई जमीनों पर बोता रहूं तो वह ढ़ंग से फलेगा-फूलेगा नहीं। बिजनेस को समय दिए जाने की जरुरत है।
एकदम से पौधै पर ही फल लग आने की अपेक्षा मत रखो। उसे जमने दो और फलने-फूलने दो। अपिर्त को अपने चाचा का इशारा समझ आ गया था। अब उसने अपने नए बिजनेस को पयार्प्त समय देने का निश्चय कर लिया।
दोस्तों इस प्रेरणादायक कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें बिजनेस में संयम रखना चाहिए.