सीख देती हैं कहानियां
बच्चे हों या बड़े, कहानियां(Story) सबको अच्छी लगती हैं। ये कल्पना की उड़ान भरने के लिए ही प्रेरित नहीं करती, हमें यथार्थ की समझ भी दे जाती हैं। इनमें उपदेश की कड़वाहट नहीं होती, लेकिन
जीवन से जुड़ी हर सीख होती है। इसीलिए बचपन में सुनी गई कहानियां हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती हैं। ये बच्चों और बड़ों के बीच संवाद का सहज माध्यम होती हैं। पहले परिवार के बड़े लोग खुद रुचि लेकर बच्चों को कहानियां सुनाया करते थे ताकि उन्हें सीधे कुछ कहे बिना अपने समाज और जीवन की सीख दे सकें, लेकिन आज माता-पिता के पास भी इतना समय नहीं है कि वे अपने बच्चों को कभी-कभी कहानियां सुना सकें।
बेडटाइम स्टोरीज़ बीते दिनों की बात होती जा रही हैं। इसकी वजहों और असर के साथ-साथ इस पर मशहूर शख्सीयतों के विचार भी आप जान सकते हैं कवर स्टोरी 'मां सुनाओ कहानी' में। बरसात का मौसम अब दस्तक दे चुका है और सखी समय के अनुसार आपकी ज़रूरतों का हमेशा ख़याल रखती रही है।
बरसात के मौसम में अपना सौंदर्य बरकरार रखने के लिए ज़रूरी बातों की जानकारी है ‘रखें अपना ख़याल' में। हमारे पर्यटन स्थल केवल मौज-मस्ती की जगहें ही नहीं, सभ्यता और संस्कृति के जीवंत दस्तावेज़ भी हैं।
पर्यटन स्तंभ में आपके लिए है ऐसे ही एक स्थल एलोरा का वृत्तांत। आज तकनीकी दक्षता हासिल करने और उसी क्षेत्र में अपना करियर बनाने के बाद कई युवा साहित्य और कला की दुनिया में आ रहे हैं।
मुद्दे पर उनके पक्ष को समझने के लिए ज़रूर पढें ‘पन्नों पर पिघलता तकनीक का दिल'। याद रखें, कहानियों की ज़रूरत हमें सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होती। इनकी ज़रूरत हमें इसलिए होती है ताकि हम यथार्थ का सामना करने की तैयारी कर सकें।
हमें Hindi Kahani की उपयोगिता बताने वाला यह यह लेख प्रगति गुप्ता जी ने लिखा है जो सखी magazine की सम्पादक है.