खुशी का रहस्यए क गांव में एक साधु रहते थे। बहुत ज्ञानी और शांतिप्रिय। दूर-दूर से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास आते थे। वे सभी की समस्याओं को बहुत धीरज के साथ सुनतेथे और बड़े प्रेम से उनका मार्गदशर्न करतेथे। उनके पास आने वाले लोग वापस जातेसमय खुद को बहुत हल्का महसूस करते थे।
एक बार एक व्यक्ति उनके पास आया औरबोला- महाराज, मैं आपसे खुश रहने कारहस्य जानना चाहता हूं। मुझे यह रहस्यबताइए ताकि मैं हर दम खुश रह सकू।
साधू उसे अपने सा
थ जंगल में ले गए। रास्ते में उन्होंने एक बड़ा पत्थर उठाया और उसेपकड़ाते हुए बोले, इस पत्थर को पकड़े हुएही मेरे साथ-साथ चलना। वह आदमी पत्थरउठाकर साधु के पीछे चलता रहा। थोड़ी देर में उसके हाथ में पत्थर के वजन से ददर् होनेलगा। पहले तोवह चुप रहा लेकिन कुछ देरबाद बोल ही उठा- महाराज, पत्थर से पीड़ाहो रही है। तब साधु ने कहा- ठीक है, तुम पत्थर नीचे रख दो। यही है खुश रहने कारहस्य। वह आदमी हैरान होते हुए बोला- मैंसमझा नहीं। साधु ने कहा- जिस तरह पत्थरको कुछ मिनट उठाने पर थोड़ा और फिर कुछ घंटे उठाने पर ज्यादा ददर् होता है, वही हालदुखों के साथ है। तुम दुखों और चिंताओं केबोझ को जितने ज्यादा समय तक अपने दिलपर उठाए रखोगे, तुम्हें उतना ही अधिक कष्टहोगा। इसलिए दुखों और चिंताओं के इसबोझ रुपी पत्थर को नीचे रखना सीख लो।तब तुम हर पल खुश रह पाओगे।
Friends इस हिंदी कहानी से हमें सिख मिलती है कि हमें दुखों को दिल से नहीं लगाना चाहिए.
एक बार एक व्यक्ति उनके पास आया औरबोला- महाराज, मैं आपसे खुश रहने कारहस्य जानना चाहता हूं। मुझे यह रहस्यबताइए ताकि मैं हर दम खुश रह सकू।
साधू उसे अपने सा
Friends इस हिंदी कहानी से हमें सिख मिलती है कि हमें दुखों को दिल से नहीं लगाना चाहिए.